अगर आप किसी ऐसे तालाब के पास है जिसमें टर-टर करने वाले ढेर सारे हरे मेंढक हों तो उनकी आवाज को ध्यानपूर्वक सुनें। उनमें से कुछेक झूठ बोल रहे होंगे। कैसे, आइए बताते हैं। क्रोकया टर्र-टर्र करना हरे नर मेंढक का अंदाज है। दूसरे मेंढकों को यह बताने का कि वह कितना बड़ा है। जितना बड़ा नर होगा। उतनी ही गहरी उसकी क्रोक पर्याप्त होती है। अन्य नरों को डराने के लिए और इस तरह वह उसके क्षेत्र में उसे चुनौती देने से बाज़ आ जाते हैं। हालांकि ज्यादातर क्रोक सच्ची होती हैं। कुछ छोटे नर अपनी आवाजों को ऐसाकर लेते हैं कि वह भारी व गहरी मालूम होती है। उनकी आवाज बड़े बदन वाले उन मेंढकों को डरा देती है जो उन्हें ईमानदारी की लड़ाई में परास्त कर सकते है। हरे मेंढक धोखा देने वाली प्रजातियों में से केवल एक हैं। झूठ या धोखा देना पक्षियों से लेकर पानी के जानवरों, प्राइमेट्स गोरिल्ला आदि व होमोसेपियंस यानी मानव तक खोजा जा चुका है। 1990 के मध्य तक वैज्ञानिकों ने एक प्रजाति द्वारा दूसरी प्रजाति को बेवकूफ बनाने के किस्मों को कलमबंद कर दिया था। मसलन, चिडिय़ों से अपने को दूर रखने के लिए कुछ गैर-जहरीली तितलियों ने अपने पेरों को जहरीला प्रजातियों जैसे बना लिया था। लेकिन प्रजाति के अंदर सच ही हावी रहता था। शिकारियों से चौकन्ना रहने के लिए जानवर एक-दूसरे को एलार्म कॉल देते हैं, नर लड़ाई में अपनी ताकत का संकेत देते है, बच्चे अपने माता-पिता को अपने भूखे होने को बता देते हैं। इस तरह सच्चाई दोनों, संकेत देने वाले व स्वीकार करने वाले को फायदा पहुंचाते है। संकेत का अर्थ है जानकारी को दूसरे तक पहुचा देना। धोखा या भ्रम इसलिए कोई मुद्दा नहीं था। लेकिन इस खुशहाल व्यवस्था में एक कमी थी इससे झूठों के लिए अच्छा अवसर मिल जाता है। मसलन शराइक्स नाम की चिडिय़ा नियमित तौर पर शिकारियों से बचने के लिए एक-दूसरे को एलार्म कॉल देती हैं। लेकिन कभी-कभी यह चिडिय़ा झूठा अलार्म कॉल भी देती हैं ताकि दूसरी शराइक्स डर कर खाने से दूर भाग जायें। जसप्रीत सिंह (प्रैसवार्ता)
Tuesday, June 1, 2010
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